क्यों इतनी खास हो तुम, दिल के इतनी पास हो तुम ।
क्यों इतनी खास हो तुम, दिल के इतनी पास हो तुम
मेरी बंद आँखों की सुनहरी ख्वाब हो तुम
मेरी लबो की हसीं मुस्कान हो तुम, महका हुआ गुलाब हो तुम
मेरे धड़कते दिल की अनसुनी आवाज़ हो तुम, मेरे सारे अरमान हो तुम
यूँ कहु की मेरी दुनिया, पूरी कायनात हो तुम
मेरी इस तन्हाई के अम्बर में, पूर्णिमा की चाँद हो तुम ।
मिला नहीं तुमसे मै, लेकिन मौजूदगी का एहसास हो तुम
भीग जाता हु तेरी यादो के बारिश में, महके सावन की रिमझिम फुहार हो तुम
सोता हु आखो में तेरी तस्वीर लिए, जागता हु तेरी हसीन सपनो में
मेरी इस शोर भरी जिंदगी में एहसासो का सुकून हो तुम
मेरे इस खामोश दरिया में इश्क़ का किनारा हो तुम, जहा तक सफर है वहा तक हमसफ़र हो तुम ।
प्यार को हर एक वफ़ा से निभाया मैंने, फिर क्यों इतनी मगरूर हो तुम
हो जाता हु मै उदास कितना, क्यों मुझको ऐसी सजा दे रही हु तुम
मैंने हर बात माना है तेरी ये जिंदगी, फिर क्यों इतनी खफा हो तुम
बेसक तेरे प्यार में कुर्बान हो चला हु मै, अपने को भूल तुझमे समां चला हु मै
ये एहसास है तुम्हे भी लेकिन फिर क्यों अपनी धड़कनो को मेरे दिल से चुरा रही हो तुम ।
कसक सी होती है दिल में की काश इतनी सी मोहब्बत निभा देती तुम
जब मै रुठ जाता तो माना लेती तुम, धड़कन बन कर मेरे दिल में उतर जाती तुम
हवा बन कर मेरी सांसो में समा जाती तुम, मेरे खोये हुए दिल को सवार देती तुम
मेरी इस बेरंग दुनिया में खुसबू बन कर बिखर जाती तुम
अब अपनों से क्या शिकायत, एक बार तो इस खाली दिल पे दस्तक दे देती तुम ।
क्या कहे बिन तेरे हालत कैसी है, मुझसे ही दूर हो रही मेरी जिंदगी है
खामोश राहों में अकेला चलता हु मै, राह तकता तेरे साथ का सपने संजोता हु मै
तमन्ना है की छू लू तुम्हे एक बार, मंज़िलों की जद में सुना सा महसूस करता हु मै
अब तो मेरी तनहा रातों का आशियाना बन गई हो तुम, ढलते हुए वक़्त की किनारा बन गई हो तुम
कैसे समझाऊं तुम्हे की कैसे मेरी जिंदगी का सहारा बन गई हो तुम, साँस बन कर रूह में उतर गई हो तुम…
of course like your website however you need to test the spelling on several of your posts. Several of them are rife with spelling problems and I in finding it very bothersome to inform the truth then again I¦ll certainly come back again.
Very interesting info !Perfect just what I was searching for!