अये सनम ये तू ही बता की क्या कभी तेरे इश्क़ के काबिल नहीं रहा मै

                 रातें तनहा तेरा इंतजार करता रहा मै 

         इश्क़ की सर नवाजी में तुझपे ऐतबार करता रहा मै 

     तू मुझे ना मिली फिर भी तुझसे इकरार करता रहा मै

              लम्हा लम्हा बीत गया इस नादान जिंदगी का          

          तेरी गैरमजदगी में कतरा कतरा जलता रहा मै  

अये सनम ये तू ही बता क्या कभी तेरे इश्क़ के काबिल नहीं रहा मै

 

                    भटकता रहा मै सरफिरा सा, मन चला सा

              मुसीबतो से झुझते, सारे दर्द को भूल मस्त मौला सा

 बस चलता रहा तुम्ही को मंजिल मान, कभी मस्त पवन सा तो कभी बोझिल मन सा  

          अब तो बधवाहस हो गया हु मै, तुझे सीने में छुपा रखा हु मै

       एक टुटा हुआ तारा बन के तेरी यादो के गहरे सागर में सामा गया हु मै

    अये सनम बस इतना बता दे की क्या कभी तेरे इश्क़ के काबिल नहीं रहा मै…

 

बदलता रहा मै मौसम की तरह, शायद कभी तो तुझे पसंद आऊं सावन की तरह

        बसंत की पतझड़ भी बिता, जवानी भी बीती, बह गए सारे आरमान बरसात की तरह

            छोड़ दी तूने मुझे तनहा और कर दिया मुझे दुनिया से दूर

          क्या कहे की तेरे बिन जिंदगी हो गए है कितनी मजबूर

 तेरी जुल्फों के बादल में सोता हु मै, तेरी नैनों की बारिश में भीगता हु मै

                  तेरे यादो के साया में हरपल जीता हु मै

ये सनम ये तू ही बता की क्यों कभी तेरे दिल पे दस्तक दे नहीं पाया मै

           

            गिरता रहा, संभालता रहा मै, इंतजार ही इंतजार करता रहा मै

              ठहर सा जाता हु जब जब तेरी तस्वीर निहारता हु मै                                   

   एक अरसा बीत गया जिंदगी का, तेरे प्यार के सागर से अब भी उबर नहीं पाया हु मै 

तू नहीं तो क्या, मेरे इस वीरान दिल में, तेरी खयालो की दुनिया बनता चला गया हु मै

        दिल में एक कसक सी होती है की क्यों कभी तेरे इश्क़ के काबिल नहीं रहा मै…

 

 तेरा मिलना भी एक एहसास था, जिसे धड़कनो में बसाया था मै

         दो पल ही सही तेरी कशिश के आगे बेबस था पाया मै 

       ढूंढ़ता हु तुझे हर चेहरे में कुछ इस कदर टूट गया है हु मै  

    अब तो तेरी यादो में जीता और तेरी यादो में मरता हु मै 

          हर लम्हा हर साँस तुझे दिल के करीब पाता हु मै 

    हारा नहीं हु मै… बस तेरी गैर मौजूदगी से बिखर गया हु मै 

मुझमे तू है इस एहसास के समुन्दर में बून्द बनकर सामा गया हु मै…

 ये सनम ये तू ही बता की क्या कभी तेरे मोहब्बत के काबिल नहीं रहा मै…  

 

One thought on “अये सनम ये तू ही बता की क्या कभी तेरे इश्क़ के काबिल नहीं रहा मै

  • May 7, 2022 at 7:56 pm
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